Romantic love shayari || बिछड गया कोई हमसे अपना...........


बिछड गया …
बिछड गया कोई हमसे अपना
करीबी वक्त की मार में
कोई हो गया अंजान हमसे
किसमत की इस चाल में
टूट कर बिखर गये अरमान मेरे
इस कदर
फिर टूट गया मेरे इस दिल का भी सबर
बिछड गया कोई हमसे अपना
पहली दफह किसी को इतना चाह था मैनें
उसे फिर अपना खुदा माना था मैंने
वो मेरे ख्यालों में जीया करता था
मेरे हर साँस की एक वजह वो भी हुआ करता था
बिछड गया कोई हमसे अपना
उसे इज्हार कर हमने अपनी मुहब्बत का इहसास कराया था
खामौशी में उसने भी फिर प्यार जताया था
मैं उम्मीदों को जिंदा रख जीने लगा था
उसके हर दुख को अपना समझ पीने लगा था
बिछड गया कोई हमसे अपना
वो दुखी सा होकर हम्हें इंकार करता था
वजह अंजान थी क्योकि हर बार करता था
मैं उसे सच्ची मुहब्बत करने लगा
उसके हाँ के इतजार में जीने लगा
बिछड गया कोई हमसे अपना
सब कुछ अच्छा चल रहा था
उसे भी है अब प्यार एसा लग रहा था
फिर अचानक इक भवंडर आया
मेरी जीवन में तूफान ले आया
बिछड गया कोई हमसे अपना
उसके अतीत का इक पन्ना आज उसका आज बनकर आया
मेरे दिल में हलचल मची फिर उसने मुझे बहुत रूलाया
टूट गया मैं अपनी क़मुहब्बत को संजोता – संजोता इस कदर…
देख ना सका अपना बुरा भी हर डगर
बिछड गया कोई हमसे अपना
फिर उसकी खुशी के लिए फिका सा मैं भी हंस दिया
हर अरमान मैंने अपना जिंदा दफन फिर मैनें कर लिया
आज वो दूर है मुझसे ए सच है
मुझे प्यार आज भी है उस्से ए भी सच है
उस उपर वाले की मर्जी नें मुझे अलग कर दिया
वो अलग हुआ पर मुझे पत्थर दिल कर दिया
बिछड गया कोई हमसे अपना …
                                                 – Saurabh Saini

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