Shayari Hindi || वक़्त आ गया फिर दर्द कोई बोने का........||
अगर पलक पर है मोती तो ये नहीं काफ़ी
हुनर भी चाहिए अल्फ़ाज़ में पिरोने का
हुनर भी चाहिए अल्फ़ाज़ में पिरोने का
जो फ़सल ख्वाब की तैयार है तो ये जानो
की वक़्त आ गया फिर दर्द कोई बोने का
की वक़्त आ गया फिर दर्द कोई बोने का
ये ज़िन्दगी भी अजब कारोबार है
की मुझे ख़ुशी है पाने की कोई न रंज खोने का
की मुझे ख़ुशी है पाने की कोई न रंज खोने का
है चकनाचूर मगर फिर भी मुस्कुराता है
वो चेहरा जैसे हो टूटे हुए खिलौने का
वो चेहरा जैसे हो टूटे हुए खिलौने का
– जावेद अख़्तर
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